दु:ख का अधिकार
प्रश्न - उत्तर (आशय स्पष्ट कीजिए)
आशय स्पष्ट कीजिए:
1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
जैसे पतंग डोर से बंधी रहती है, डोर से ही उसे आगे पीछे किया जा सकता है| जब पतंग डोर से अलग हो जाती है, तो हवा के कारण अचानक धरती पर नहीं आती और कुछ समय हवा में ही रहती है| इसी प्रकार समाज में जब मनुष्य अपनी शिक्षा और संवेदना के विकास के दौर से अलग होता है, तब भी समाज की हवा यानी पोशाक आदि के बाहरी दिखावे के कारण वह तत्काल गरीब आदमी से जुड़ नहीं पाता| लेखक भी झुककर गरीब वर्ग के साथ मिलना-जुलना चाहता है, परंतु उसकी पोशाक उसके विचार व व्यवहार में बाधा बनती है| यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है।