कक्षा ९ / १० - हिंदी (ब) अपठित गद्यांश - 3
अपठित गद्यांश
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सादगी और ईमानदारी के लिए शुरु से विख्यात थे। स्वतंत्रता आदोलन के दौरान गाँधीजी ने उन्ह मीडिया प्रभारी बनाया। कांग्रेस की गतिविधियों की कौन सी खबर प्रकाशित होनी है कौन सी नहीं इसका निर्णय राजेंद्र बावू को करना होता था। वह अखवार में खबरें भी खुद ही पहुँचाते थे। एक बार वह इलाहाबाद के लीडर प्रेस गए। उस समय लीडर प्रेस के संपादक सी॰ वाई. चिंतामणि थे। उनकी राजेंद्र बाबू से गहरी दोस्ती थी। जब राजेंद्र बाबू प्रेस पहुंचे तो गेट पर बैठे चपरासी ने कहा, 'इस समय आप उनसे नहीं मिल सकते। उनके पास कई नेता बैठे हुए हैं। आपको इतज्ञार करना पडेगा।' राजेंद्र बाबू ने अपना कार्ड उसे देते हुए, कहा, 'ठीक है, यह उनें दे दो। जब वह खाली हो जाएँ तो वह मुझे बुला लेगें।
चपरासी ने कार्ड चिंतामणि की मेज पर रख दिया | उस समय ठंड ज्यादा थी और हल्की बूँदा बाँदी भी हो रही थी। राजेंद्र बाबू भीग गए थे। कार्यालय के बाहर कुछ मजदूर अंगीढी जलाकर आग ताप रहे थे। राजेंदर बाजू भी वहीं बैठ गए। काफी देर बाद चिंतामणि की नजर उस कार्ड पर पड़ी, वह नंगे पाँव दौड़ते हुए बाहर आए और उन्होंने चपरासी से पूछा, 'यह कार्ड देने वाले सज्जन कहाँ है?' चपरासी ने कहा, 'वहाँ बैठ कर आग ताप रह है । मैंने उन्हें रोक लिया था। चिंतामणि को देखकर राजेंद्र बाबू भी आ गए। दोनों गले मिले। चिंतामणि ने कहा, 'आज इसकी गलती से आपको बहुत तकलीफ हुई।' फिर वह चपरासी को डटे हुए बोले, तुमने राजेंद्र बाबू को रोका क्यों ? राजेद्र बाबू का नाम सुनते ही चपरासी काँपने लगा और माफी माँगते हुए बोला, मैंने आपको पहनाना नहीं साहब। मुझे माफ़ कर दें' राजेंद्र बाबू बावू बोले, 'तुमने कोई गलती की ही नहीँ तो माफ़ी क्यों माँगते हो। तुमने अपनी डयूटी ईमानदारी से ड्यूटी निभाई है और आग भी इसी तरह निभाते रहना ।'
उपर्यक्त गद्यांश को पढकर सही विकल्प चनकर लिखिए -
(क) राजेंद्र बाबू की किन दो विशेषताओं का उल्लेख कहानी में किया गया है ?
(१) सादगी व सच्चाई
(२) सच्चाई व ईमानदारी
(३) ईमानदारी व सादगी
(४) सादगी व कर्तव्यनिष्ठ
(ख) 'लीडर प्रेस' के चपरासी ने राजेंद्र बाबू को अंदर नही जाने दिया क्योंकि -
(१) संपादक प्रेस में नहीं थे
(२) मिलने का समय खत्म हो गया था।
(३) संपादक ने मना किया था।
(४) संपादक के पास अन्य लोग बैठे थे |
(ग) .चपरासी द्वारा रोकने पर राजेंद्र बाबू पर क्या प्रभाव पड़ा -
(१) वे चुपचाप वापस लौट गए
(२) चपरासी की कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावित हुए
(३) प्रेस में दाखिल हो गए
(४) चपरासी के व्यवाहर से क्रोधित हो गए
(घ) ठंड में भीग जाने पर राजेंद्र बाबू मजदूर के साथ आग तापना बताता है -
(१) राजेंद्र बाबू की कष्ट सहिष्णुता
(२) राजेंद्र बाबू का क्रोध
(३) राजेंद्र बाबू की सादगी
(४) राजेंद्र बाबू का बड़प्पन
(ङ). गद्यांश का उपुक्त शीर्षक है -
(१) दुनियादारी
(२) समय चक्र
(३) ईमानदारी का पाठ
(४) सत्य की जीत
(१) सादगी व सच्चाई
(२) सच्चाई व ईमानदारी
(३) ईमानदारी व सादगी
(४) सादगी व कर्तव्यनिष्ठ
(ख) 'लीडर प्रेस' के चपरासी ने राजेंद्र बाबू को अंदर नही जाने दिया क्योंकि -
(१) संपादक प्रेस में नहीं थे
(२) मिलने का समय खत्म हो गया था।
(३) संपादक ने मना किया था।
(४) संपादक के पास अन्य लोग बैठे थे |
(ग) .चपरासी द्वारा रोकने पर राजेंद्र बाबू पर क्या प्रभाव पड़ा -
(१) वे चुपचाप वापस लौट गए
(२) चपरासी की कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावित हुए
(३) प्रेस में दाखिल हो गए
(४) चपरासी के व्यवाहर से क्रोधित हो गए
(घ) ठंड में भीग जाने पर राजेंद्र बाबू मजदूर के साथ आग तापना बताता है -
(१) राजेंद्र बाबू की कष्ट सहिष्णुता
(२) राजेंद्र बाबू का क्रोध
(३) राजेंद्र बाबू की सादगी
(४) राजेंद्र बाबू का बड़प्पन
(ङ). गद्यांश का उपुक्त शीर्षक है -
(१) दुनियादारी
(२) समय चक्र
(३) ईमानदारी का पाठ
(४) सत्य की जीत
nxt time pls upload wid ans.
ReplyDeletenxt time pls uplod wid ans.....
ReplyDeletePLZZ UPLOAD AMSWERS
ReplyDeletePlease tell answers
Deleteanswers please
ReplyDeleteYaa pls upload ans
ReplyDeleteyes please upload answers
ReplyDeleteAnswers plz
ReplyDeletePlease tell answers as well..
ReplyDeletePlese post answers
ReplyDeleteNice
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