हरिहर काका - प्रश्न - उत्तर
कक्षा १० - हिंदी ब
प्र १: कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर: कथावाचक अर्थात लेखक और हरिहर काका के बीच बहुत पुराना और घनिष्ठ सम्बंध है। जब लेखक छोटा था तब काका उससे बेहद प्यार करते थे। वे उसके पिता से भी ज्यादा प्यार करते थे। बड़ा होने पर वही उसके मित्र बन गए। वे उसे हर विषय को समझाते थे। लेखक उन्हें अपने मन की सारी बातें बताता था और काका उन्हें दिल की हर बात कह देते थे। यही वजह है कि लेखक को उनके एक-एक लम्हें की जानकारी है। लेखक को लगता है कि उसको अपना मित्र बनाने के लिए काका ने स्वयं प्यार से सींचा और इन्तजार किया है।
प्र २: हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
उत्तर: हरिहर काका को महंत तथा अपने भाई एक श्रेणी के लगते हैं। क्योंकि महंत ने जायदाद के लिए उनका अपहरण किया था। उसने उनके हाथ-पैर बाँध कर मुँह में कपड़ा ढूँस दिया। पुलिस आने पर उन्हें मानसिक यातनाएँ देकर कोठड़ी में बंद कर ताला लगा दिया ताकि किसी को पता न चले। उन्होंने जबरदस्ती काका के अगूठे के निशान ले लिए थे। इसी प्रकार उनके परिवार वाले भी उन्हें जायदाद के लिए मारते पीटते हैं और चिल्लाने पर उसके मुँह में कपड़े ढूँस देते हैं। वे उसे बुरी तरह से पीटकर जबरदस्ती अगूठे का निशान ले लेते हैं। यहाँ तक की मार देने की भी धमकी देते हैं। इस प्रकार दोनों पक्षों को उनसे नहीं बल्कि उनकी जायदाद से प्यार है। अतः काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगने लगे।
प्र ३: ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उनसे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर: गाँव के लोग पहले भी अंधविश्वासी थे तथा आज भी हैं। वे गांव के मंदिरों को पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। धर्म के ठेकेदार चाहे कितने भी नीच और पतित हो उनका विरोध नहीं करते। उनकी नीच से नीच हरकत को भी वे अगाध श्रद्धा से देखते हैं। इससे उनकी अंधविश्वास और लकीर के फकीर होने की मनोवृत्ति सामने आती है।
प्र ४: अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हरिहर काका अनपढ़ थे परन्तु उन्हें दुनियादारी की बेहतर खबर है। जब उनके भाई लोग उनसे जबरदस्ती जमीन नाम कराने के लिए डराते हैं, तो गांव के ऐसे लोगों की उन्हें याद आती है, जिनसे रिश्तेदारों ने मधुर व्यवहार का दिखावा कर उनकी जमीन हथिया ली थी। काका ने उन्हें तिल-तिल करके मरते देखा था। अतः उन्होंने मन में ठान ली कि तिल-तिल मरने से तो अच्छा है ये लोग एक बार में मार दें। वे जीते-जी जमीन नाम न करवाने का दृढ़ निश्चय करते हैं। हालाँकि पहले महंत के उकसाने पर भी वे भाइयों के प्रति अपना फर्ज भुलाकर उनसे धोखा नहीं करना चाहते थे। परन्तु भाइयों द्वारा धोखा खाने के बाद वे समझ गए कि ये उनसे नहीं बल्कि उनकी जायदाद से प्यार करते थे। महंत और परिवार वाले उनकी इज्ज़त, सम्मान, उनके प्रति प्यार सिर्फ़ जायदाद के लिए दिखाते थे।
प्र ५: हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया?
उत्तर: जब हरिहर को काफी उकसाने पर भी काका (हरिहर) ने हाँ नहीं भरी तो महंत जाल बिछाने लगा। उसने लक्ष्य कर लिया था कि काका परिवार के प्रति फर्ज और अपनत्व में फँसे हैं। वे धर्मसंकट में हैं कि भगवान के लिए परिवार से धोखा करूँ की नहीं। भाइयों से धोखा देने वाली बात उन्हें ठीक नहीं लग रही थी। महंत को यह बात हजम नहीं हुई। उसने छल-बल का प्रयोग कर रात के समय जब वे अकेले दालान में सो रहे थे, उनका अपहरण करवा दिया। महंत ने साधु-संतों से मिलकर उनके हाथ-पैर बाँधकर उनके मुहँ में कपड़े हँस दिए ताकि बाहर उनकी आवाज न सुनाई दे सके। उन्होंने जबरदस्ती अगूठे के निशान लिए और फिर उन्हें एक कमरे में नजरबंद कर दिया। पुलिस आने पर स्वयं गुप्त दरवाजे से बाहर भाग गए और उन्हें ऐसी हालत बंद कर गए।
प्र ६: हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर: हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की राय के रूप में दो वर्ग बन गए थे और दोनों वर्गों की राय भी भिन्न-भिन्न थी। पहले वर्ग का कहना था कि हरिहर काका को अपनी ज़मीन ठाकुर जी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उत्तम उनके लिए कुछ न होगा क्योंकि ऐसा करने से उनकी कीर्ति अचल बनेगी तथा ठाकुरबारी का महत्त्व गाँव की सीमा के बाहर भी फैलेगा। पहले वर्ग की राय इसलिए ऐसी थी क्योंकि यह वर्ग धार्मिक प्रवृत्ति का था, ठाकुरबारी से जुड़ा था तथा यह वर्ग ठाकुरबारी में प्रसाद के बहाने हलुआ-पूरी का भोग लगाता था।
दूसरे वर्ग की राय यह थी कि भाइयों के परिवार भी तो अपने ही होते हैं, इसलिए हरिहर काका को अपनी सारी ज़मीन उनके नाम लिख देनी चाहिए। अन्यया वे लोग उनके साथ अन्याय करेंगे। दूसरे वर्ग की राय प्रगतिशील विचारों के कारण ऐसी थी या कहें कि उनके परिवार में भी हरिहर काका जैसे लोग पल रहे थे और उन्हें लगता था कि यदि हरिहर काका ने ज़मीन ठाकुरबारी के नाम लिख दी, तो कहीं ऐसी परंपरा ही न चल पड़े।
प्र ७: समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: समाज में रिश्तों की अहम् भूमिका है। आज का समाज भौतिकवाद की ओर अग्रसर हो रहा है। समाज में मानवीय रिश्तों का महत्त्व कम होता जा रहा है। सभी रिश्तों में स्वार्थ दिखाई देता है। आजकल घरों में मुखिया का महत्त्व कम होता जा रहा है। सभी लोग आज की भागती-दौड़ती ज़िंदगी के साथ कदम मिलाने के लिए भाग रहे हैं जिससे घरों में किसी के पास भी एक-दूसरे का सुख-दुख जानने का समय नहीं रह गया है। भौतिकवादी और दिखावा पसंद जीवन ने घर के बुजुर्गों और बच्चों को एक-दूसरे से दूर कर दिया है। समाज में रिश्तों की अहमियत में कमी आने से मनुष्य ने अपना स्वाभाविक स्वरूप खो दिया है।
प्र ८ (बहुविकल्पीय प्रश्न): लेखक के दृष्टिकोण से हरिहर काका के संबंध में कौन-सी बात गलत है?
(क) वे लेखक के पड़ोस में रहते थे।
(ख) वे लेखक को एक पिता से भी ज़्यादा प्यार करते थे।
(ग) वे लेखक के पक्के दोस्त थे।
(घ) वे लेखक की आर्थिक मदद करते थे।
उत्तर: (घ) वे लेखक की आर्थिक मदद करते थे।
प्रश्न ९: हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर किसके अधिकार की संभावना है? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कहानी के अनुसार काका के भाइयों ने डाकू बूटन सिंह से समझौता कर रखा है कि वे उसे जमीन दखल करवाने के बदले पाँच बीघे जमीन दे देंगे। उन्हें पूरा यकीन है कि वे कामयाब होंगे। इधर महन्त कहता है कि काका के मरते ही वे हजारों की संख्या में नागाओं और साधुओं को बुलाएंगे जो पूरे गाँव को धूल में मिला देंगे। वे उनके परिवार वालों की दसांश भाग भी नहीं लेने देंगे। पर यह तो समय ही बताएगा कि क्या होगा? परन्तु उनकी मृत्यु होते ही पूरा गाँव इस बात को लेकर उठने वाले तूफान की चपेट में आएगा।
प्रश्न १०: कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
उत्तर: लेखक स्पष्ट करना चाहता है कि जब काका का ज्ञान जाग्रत हुआ तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए जिन्होंने परिवार वालों की मोह माया में फँसकर, अपनी जमीन उनके नाम कर दी। वे लोग बाद में दाने-दाने के मोहताज हो गए तथा तिल-तिल मरे थे। अब वे सोच रहे थे कि तिल-तिल कर मरने से तो अच्छा है कि ये लोग मुझे एक बार में ही मार दें। इसी संदर्भ में लेखक ने कहा कि अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो मनुष्य आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।
👉इन्हें भी देखें :
हिंदी (ब) - अपठित काव्यांश (Hindi-B - Poem Comprehension)
हिंदी (ब)SA2 - Sample Question Paper (2012-13)
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