Friday 7 March 2014

Class 10 - Hindi - B - आत्मत्राण

आत्मत्राण

प्रश्न - कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
Class 10 - Hindi - B - आत्मत्राण
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उत्तर - कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि उसे जीवन की विपदाओं से दूर चाहे ना रखे पर इतनी शक्ति दे कि वह अपने आत्मबल से इन मुश्किलों पर  विजय पा सके। उसका विश्वास अटल रहे।

प्रश्न - विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं − कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर - कवि इस पंक्ति के द्वारा करुणामय ईश्वर से प्रार्थना करता है कि हे ईश्वर मैं यह नहीं कहता कि मुझ पर कोई विपत्ति न आए या मेरे जीवन में कोई दुख न आए बल्कि मैं यह चाहता हूँ कि आप मुझे इतनी शक्ति दें कि मैं उन विपदाओं का सामना कर उन पर विजय पा सकूँ |

प्रश्न - कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

उत्तर - कवि सहायक के न मिलने पर प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले।


प्रश्न - अंत में कवि क्या अनुनय करता है?

Wednesday 5 March 2014

CBSE Class 10 - Hindi- Question Paper-2014


CBSE Class 10 - Hindi- Question Paper-2014
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Sunday 2 March 2014

CBSE Class 10 - Hindi (B) मनुष्यता

मनुष्यता



प्रश्न - कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है ?

उत्तर - जो मनुष्य परोपकार, सेवा, त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु सुमृत्यु कहलाती है | मृत्यु से व्यक्ति के शरीर का अंत होता है, उसकी अच्छाई का नहीं | मृत व्यक्ति अपने जीवनकाल में किए गए अच्छे कार्यों द्वारा लोगों की याद में हमेशा अमर हो जाता है |

प्रश्न - उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर - उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व परहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, सबसे मैत्री भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर आपसी भेदभाव व  स्वार्थ को भूलकर प्रत्येक मनुष्य के प्रति परोपकार और अपनत्व का भाव रखता है|

प्रश्न - कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?

उत्तर - कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है| वह यह बताता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना निःस्वार्थ भाव से परहित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दीं, कर्ण ने अपना रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजनथाल दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया| इस तरह इन महापुरुषों में विद्यमान परोपकार और विश्व-बंधुत्व की भावना दूसरों को उनका अनुकरण करने का सन्देश देती है।

CBSE Class 10 - Science- KVS - Sample Question Paper-2014


CBSE Class 10 - Science- Sample Question Paper-2014






Saturday 22 February 2014

CBSE Class 10 - Hindi (B) - बिहारी के दोहे

बिहारी के दोहे

CBSE Class 10 - Hindi (B) - बिहारी के दोहे

प्रश्न 1 – छाया  भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है?

उत्तर- जेठ के महीने में धूप इतनी तेज होती है कि सिर पर आने लगती है जिससे छाया छोटी होती जाती है। इसलिए कवि का कहना है कि जेठ की दुपहरी की भीषण गर्मी में छाया भी छाया ढूँढ़ने लगती है।


प्रश्न 2 - बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है - कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात- स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बिहारी की नायिका अपने हृदय की व्याकुलता का सन्देश प्रिय को पत्र द्वारा देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय अतिशय प्रेम की स्थिति में अपनी कोमल भावनाओं को अभिव्यक्त करने में स्वयं को असमर्थ पाती है । किसी के साथ संदेश भेजने में उसे लज्जा आती है । इसलिए वह सोचती है कि जो विरह अवस्था उसकी है, वही उसके नायक की भी होगी। अतः वह प्रेम से कहती है कि उसके हृदय में छिपी  प्रेम की अनुभूति को वह स्वयं समझ ले | इसके लिए किसी भी प्रेम सन्देश की आवश्यकता नहीं है |


प्रश्न 3 - सच्चे मन में राम बसते हैं−दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि बिहारी के अनुसार भक्ति का सच्चा स्वरूप हृदय की सच्चाई में निहित है| बिहारी जी ने पाखण्ड व आडम्बर का विरोध किया है | वे कहते हैं कि मस्तक पर तिलक लगाकर और राम नाम के वस्त्र पहनकर या हाथ में माला लेकर राम नाम जपने से न तो किसी कार्य में सफलता मिलती है और न ही ईश्वर की प्राप्ति होती है | कवि के अनुसार यदि मन छल-कपट से भरा है तो राम की प्राप्ति नहीं हो सकती |माया के बन्धनों से मुक्त निर्विकार मन शुद्ध, पवित्र और निर्मल होता है | इसलिए व्यक्ति को विषय-वासनाएँ मिटाकर और बाहरी आडम्बरों को त्यागकर सच्चे मन से ईश्वर की उपासना करनी चाहिए | भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।