Thursday, 15 December 2016

Class 9 - Hindi - गीत-अगीत - कविता का सारांश (#CBSEClass9Notes)

गीत-अगीत

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (१९०८-१९७४)

Class 9 - Hindi - गीत-अगीत - कविता का सारांश  (#CBSEClass9Notes)

कविता


गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
गाकर गीत विरह की तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,

"देते स्‍वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।"

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते स्‍नेह में सनकर।


गूँज रहा शुक का स्‍वर वन में,
फूला मग्‍न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्‍हा गाता है,
पहला स्‍वर उसकी राधा को
घर से यहाँ खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
'हुई न क्‍यों मैं कड़ी गीत की
बिधना', यों मन में गुनती है।

वह गाता, पर किसी वेग से,
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत, कौन सुन्‍दर है?

कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता हिंदी साहित्य के अति महान कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित है।  'गीत-अगीत' कविता में कवि ने मनोहारी प्रकृति का  सौंदर्य चित्रण किया है ।  इसके अतिरिक्त जीव-जतुंओं के ममत्व, धरती के कण-कण में विद्यमान संगीत और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण किया है। कवि को नदी के प्रवाह में तट के विरह का गीत का सृजन  होता जान पड़ता है। उन्हें  नदी की कल-कल में, शुक-शुकी के क्रिया-कलापों में भी गीत सुनाई देता है। कहीं एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को बुलाने के लिए गीत गा रहा है जिसे सुनकर प्रेमिका आंनदित होती है। कवि का मानना है कि नदी और शुक गीत सृजन या गीत-गान भले ही न कर रहे हों, पर दरअसल वहाँ गीत का सृजन और गान भी हो रहा है। पर कवि की दुविधा है कि इनमे से कौन ज्यादा सुन्दर है - प्रकृति के द्वारा किए जा रहे क्रियाकलाप या फिर मनुष्य द्वारा गाया जाने वाला गीत। प्रकृति के कण-कण में ही संगीत का अनुभव करना इस कविता का प्रतिपाद्य है।

कठिन शब्दों के अर्थ

• तटिनी – नदी
• वेगवती – तेज़ गति से
• उपलों – किनारों
• विधाता – ईश्वर
• निर्झरी – झरना
• पाटल – गुलाब
• शुक – तोता
• खोंते – घोंसला
• बिधना - भाग्य
• पर्ण – पत्ता
• कड़ी – वे छंद जो गीत को जोड़ते हैं
• गुनती – विचार करती है।
• आल्हा – एक लोक काव्य का नाम

No comments:

Post a Comment

We love to hear your thoughts about this post!

Note: only a member of this blog may post a comment.