Friday, 21 July 2017

CBSE कक्षा ९ - हिंदी (ब) - दु:ख का अधिकार - प्रश्न - उत्तर (आशय स्पष्ट कीजिए) (#cbseNotes)

दु:ख का अधिकार
प्रश्न - उत्तर (आशय स्पष्ट कीजिए)

CBSE कक्षा ९ - हिंदी (ब) -  दु:ख का अधिकार - प्रश्न - उत्तर (आशय स्पष्ट कीजिए) (#cbseNotes)


आशय स्पष्ट कीजिए:

1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

उत्तर:
जैसे पतंग डोर से बंधी रहती है, डोर से ही उसे आगे पीछे किया जा सकता है| जब पतंग डोर से अलग हो जाती है, तो हवा के कारण अचानक धरती पर नहीं आती और कुछ समय हवा में ही रहती है| इसी प्रकार समाज में जब मनुष्य अपनी शिक्षा और संवेदना के विकास के दौर से अलग होता है, तब भी समाज की हवा यानी पोशाक आदि के बाहरी दिखावे के कारण वह तत्काल गरीब आदमी से जुड़ नहीं पाता| लेखक भी झुककर गरीब वर्ग के साथ मिलना-जुलना चाहता है, परंतु उसकी पोशाक उसके विचार व व्यवहार में बाधा बनती है| यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है।






2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है| समाज में रहते हुए उसे कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है| समाज ने प्राकृतिक जरूरत से ज्यादा महत्त्व अपनी परंपराओं को दिया है| उपरोक्त पंक्ति का अभिप्राय है कि कुछ व्यक्ति भूख मिटाने के लिए और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए धर्म ईमान रिश्ते जैसे बातों का ध्यान नहीं रखते|   इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है।


३. शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए।

उत्तर:
लेखक के अनुसार हर व्यक्ति को सुख और दुख मनाने का समान अधिकार है| हमारे समाज में धनी व्यक्ति को सुख मनाने का जितना अधिकार और अवसर है उतना दुख मनाने का भी| जबकि गरीब आदमी अपनी भूख से ही लड़ता रह जाता है| वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। दुख मनाने का अवसर भी उसके पास नहीं होता और सुख मनाने का भी नहीं| लेखक का विचार है कि उन्हें दुख मनाने का अवसर तो कम से कम मिलना ही चाहिए|


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