कक्षा ९/१० अपठित काव्यांश
प्र(cbse 2016): निम्मलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर लिखिए:
भूली हुयी यादों, मुझे इतना ना सताओ अब चैन से रहने दो, मेरे पास ना आओ |
यादें होती है गहरी नदी में उठी भंवर की तरह
नसों में उतरती कडवी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती है जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीरमें धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना जरुरत नहीं, मेरी मजबूरी है
नसों में उतरती कडवी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती है जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीरमें धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना जरुरत नहीं, मेरी मजबूरी है
(क) यादों को गहरी नदी में उठी भँवर की तरह क्यों कहा गया है?
(ख) यादों को जानी दुश्मन की तरह मानने का क्या आशय है?
(ग) शरीर में धँसे काँच से यादों का साम्य कैसे बिठाया जा सकता है?