नीलकंठ
प्रश्न - उत्तर
(भाग -१ )
प्र.1 “जब मैंने वह पिंजड़ा कार में रखा तब मानो वह जाली के चौखटे का चित्र जीवित हो गया।”- इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें ।
उत्तर – पिंजड़े की संकीर्णता के कारण मोर-शावकों का हिलना-डुलना भी मुश्किल था। वे उसमें तार के गोल फ्रेम में जुड़ी तस्वीर की तरह स्थिर दिखाई देते थे, परन्तु कार में पिंजड़ा रखे जाने के बाद जब उनकी हलचल शुरू हुई तो ऐसा लगा जैसे जालीदार पिंजड़े का चित्र सजीव हो गया ।
प्र.2 लेखिका ने मोर के विकास को चमत्कारिक क्यों कहा है?
उत्तर- लेखिका ने मोर के विकास को चमत्कारिक कहा है क्योंकि मोर के सिर की कलगी घनी, लम्बी, और चमकीली हो गई थी| चोंच नुकीली और पैनी हो गयी थी। आँखों में नीली चमक आ गयी थी और लम्बी नीली-हरी गर्दन में धुपछाँही तरंगे दिखने लगी थीं।
प्र.3 मोर-मोरनी का नामकरण किस आधार पर किया गया?
उत्तर- नीलाभ ग्रीवा के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और मोरनी सदा मोर की छाया के समान रहती थी इसलिए राधा कहलाई ।
प्र.4 ‘मंथर’ , ‘छाया’, मंद, 'उष्णता' शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए ।
उत्तर- शब्द विलोम
मंथर द्रुत (तेज )
छाया धूप
मंद उच्च,तीव्र
उष्णता शीतलता