Tuesday 1 December 2020

कक्षा ९ - हिंदी - अद्ध्याय - “तुम कब जाओगे, अतिथि” - पाठ का सार - Atithi Tum Kab Jayoge - Chapter Summary (#class9Hindi)(#eduvictors)

कक्षा ९ - हिंदी - अद्ध्याय - “तुम कब जाओगे, अतिथि” - पाठ  का सार 

कक्षा ९ - हिंदी - अद्ध्याय - “तुम कब जाओगे, अतिथि” - पाठ  का सार - Atithi Tum Kab Jayoge - Chapter Summary (#class9Hindi)(#eduvictors)


लेखक - शरद जोशी

पाठ का सार 

“तुम कब जाओगे, अतिथि” पाठ में लेखक शरद जोशी ने उन लोगों पर व्यंगात्मक प्रहार किया है जो अचानक किसी के घर आ धमकते हैं और फिर जाने का नाम ही नहीं लेते| वे मेजबान को मेहमाननवाज़ी का पूरा अवसर देते हैं परन्तु अंत में उन्हें मेहमान को 'गेट आउट' 'तक कहने को विवश कर  देते हैं|  यह सोचकर कि एक-दो दिन रहकर अतिथि अपने घर लौट जायेगा,  मेज़बान उसका नमस्कार, गले मिलने और रात्रि के बेहतरीन भोजन से सत्कार करता है परन्तु उसको न लौटता  देख मेजबान को निराशा होती है | 


तीसरे दिन जब अतिथि ने अपने वस्त्र लॉण्ड्री में देने का प्रस्ताव रखा तो मेज़बान व उसकी पत्नी 'अतिथि देवोभव' का भाव गायब होने लगा |  मेजबान को ऐसा महसूस हुआ कि ऐसा अतिथि देवता नहीं मनुष्य होता है और यदि वह अपने अतिथि होने की गरिमा भुला दे तो वह राक्षस के समान हो जाता है | 

चौथे दिन भी अतिथि जब जाने के संकेत नहीं देता तो मेजबान उसे दिखा कर कैलेंडर की तारीखें बदलता है और मन ही मन उसे दुत्कारता है |  अतिथि के डेरा जमा लेने से मेजबान का मन खिन्न है और उसे आशा है कि पाँचवे दिन की सुबह अतिथि वापिस जाने का निर्णय ले लेगा| लौट जाने में ही अतिथि का देवत्व सुरक्षित रह सकता है और मेजबान की मेज़बानी ।


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