कक्षा ९ - हिंदी - अद्ध्याय - “तुम कब जाओगे, अतिथि” - पाठ का सार
लेखक - शरद जोशी
पाठ का सार
“तुम कब जाओगे, अतिथि” पाठ में लेखक शरद जोशी ने उन लोगों पर व्यंगात्मक प्रहार किया है जो अचानक किसी के घर आ धमकते हैं और फिर जाने का नाम ही नहीं लेते| वे मेजबान को मेहमाननवाज़ी का पूरा अवसर देते हैं परन्तु अंत में उन्हें मेहमान को 'गेट आउट' 'तक कहने को विवश कर देते हैं| यह सोचकर कि एक-दो दिन रहकर अतिथि अपने घर लौट जायेगा, मेज़बान उसका नमस्कार, गले मिलने और रात्रि के बेहतरीन भोजन से सत्कार करता है परन्तु उसको न लौटता देख मेजबान को निराशा होती है |