अग्निपथ
हरिवंशराय बच्चन (१९०७-२००३)
प्रश्न - उत्तर
प्र१ :“पथ पर थम जाने से हमे किस लाभ से वंचित रह जाते है’
(क) ‘कविता’ अग्निपथ’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-
(क) मानव जीवन अग्निपथ के समान संघर्षो, कष्टों, बाधाओं से भरा हुआ है । प्रतिकूल परिस्तिथियों में भी हमे निरंतर आगे बढते रहना चाहिए| जो इस पथ की बाधाओं से घबराकर बीच में ही थम जाते है वे अपने लक्ष्य (मंजिल) प्राप्त नहीं कर पाते ।
(ख) अग्निपथ कविता में कवि किसको संबोधित कर रहा है?
उत्तर- अग्निपथ कविता में कवि जीवन पथ पर आगे बढने वाले पथिक को संबोधित कर रहा है।
प्र 2: कवि ने कौन- से दृश्य को सबसे महान कहा है? ‘अग्निपथ’ कविता के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तर – कवि ने संघर्षमयी जीवन को सबसे महान कहा है, क्योंकि कभी यह जीवन पथ कभी फूलों की शय्या है तो कभी काँटो भरी। पर हमे निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए। यह कविता हमे जीवन में संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढने की प्रेरणा देती है ।
प्र.3 (क) ‘अग्निपथ’ कविता का केंद्रीय भाव लिखिए ।
उत्तर – इस कविता का मूल भाव है कि इस संघर्षपूर्ण जीवन में अपना कार्य निरंतर करते हुए जियो । कवि जीवन को अग्निपथ अर्थात आग से भरा पथ मानता है। इसमें पग–पग पर चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ है। मनुष्य को इन चुनौतियाँ से घबराना नहीं चाहिए और बल्कि पसीना बहाकर तथा निरंतर संघर्ष पथ पर अग्रसर रहना चाहिए।
(ख) ‘अग्निपथ’ कविता के माध्यम से कवि क्या सन्देश देना चाहते है?
उत्तर – कवि यह सन्देश देना चाहते है की हमे जीवन-पथ पर संभलकर चलना है, अपनी मंजिल तक पहुँचना है| क्योंकि जीवन संघर्षो तथा चुनोतियों से भरा हुआ है, इसमें सुख की कामना तथा विश्राम लक्ष्य प्राप्ति में बाधक है |
(ग) ‘एक पत्र छांह भी मांग मत’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत कविता में कवि ने संघर्षमय जीवन को ‘अग्निपथ’ कहते हुए मनुष्य को यह सन्देश दिया है की राह में सुख रूपी छाँह की चाह न कर, अपनी मंजिल की ओर बढते जाना चाहिए ।
प्र.4 (क ) ‘तू न थमेगा कभी ! तू न मुड़ेगा कभी!’ पंक्ति में कवि मनुष्य को क्या प्रेरणा देना चाहता है ?
उत्तर – ‘अग्निपथ’ संघर्षमय जीवन का प्रतीक है। कवि मनुष्य को जीवन-पथ पर आगे बढने के लिए आत्मविश्वास देता है। कवि अपनी कविता से प्रेरित करता है की सीमित सुख-साधनों में गुजारा करना, कठोर परिश्रम तथा निडरता जीवन की आवश्यकता है।
(ख ) ‘माँग मत’ , ‘कर शपथ’ , ‘लथपथ’ इन शब्दों की पुनरावृति क्यों की गई है? ‘अग्निपथ’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – शब्दों की पुनरावृति करके कवि कर्मठ व्यक्तियों को जीवन – पथ की कठिनाइयों से जूझने के लिए दृढ़ संकल्प के लिए तैयार करना चाहता है। चाहे उनके मार्ग में अनगिनत कठिनाइयों उन्हें घेर लें, तब भी वह जीवनपथ पर संघर्ष से नहीं थकेगा ।
(ग) अग्निपथ के मुसाफिर को क्या शपथ लेनी चाहिए और क्यों ?
उत्तर – अग्निपथ के मुसाफिर को संघर्ष के रास्ते पर निरन्तर आगे बढ़ते रहने की शपथ लेनी चाहिए। तभी वह अपने लक्ष्य पर पहुँच पाएगा। वह जीवन भर संघर्ष से थकेगा नहीं। चाहे अनगिनत कठिनाइयाँ उसे घेर लें। परन्तु वह जीवन रूपी पथ पर चलकर अपनी मंजिल को प्राप्त करेगा ।
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