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Saturday 11 February 2017
Saturday 24 December 2016
CBSE Class9 - Hindi (B) - अग्निपथ- प्रश्न - उत्तर
अग्निपथ
हरिवंशराय बच्चन (१९०७-२००३)
प्रश्न - उत्तर
प्र१ :“पथ पर थम जाने से हमे किस लाभ से वंचित रह जाते है’
(क) ‘कविता’ अग्निपथ’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-
(क) मानव जीवन अग्निपथ के समान संघर्षो, कष्टों, बाधाओं से भरा हुआ है । प्रतिकूल परिस्तिथियों में भी हमे निरंतर आगे बढते रहना चाहिए| जो इस पथ की बाधाओं से घबराकर बीच में ही थम जाते है वे अपने लक्ष्य (मंजिल) प्राप्त नहीं कर पाते ।
(ख) अग्निपथ कविता में कवि किसको संबोधित कर रहा है?
उत्तर- अग्निपथ कविता में कवि जीवन पथ पर आगे बढने वाले पथिक को संबोधित कर रहा है।
प्र 2: कवि ने कौन- से दृश्य को सबसे महान कहा है? ‘अग्निपथ’ कविता के आधार पर उत्तर लिखिए।
Thursday 15 December 2016
Class 9 - Hindi - गीत-अगीत - कविता का सारांश (#CBSEClass9Notes)
गीत-अगीत
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (१९०८-१९७४)
कविता
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
गाकर गीत विरह की तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
"देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।"
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते स्नेह में सनकर।
Tuesday 13 December 2016
CBSE Open Text Based Assessment (OTBA) for classes IX & XI, 2017 is Available
Open Text Based Assessment (OTBA)
For classes
IX & XI 2017
Available Now
OTBA Material for Class 9 and Class 11 for this session (2016-2017) is available at CBSE website. Here are the links to download the pdfs.
Open Text Material for Class IX
Subject- Hindi
Mathematics - English - Hindi
Science - English - Hindi
Social Science - English - Hindi
Saturday 10 December 2016
CBSE Class 9 - Hindi (B) - अग्निपथ - कविता का सारांश
अग्निपथ
हरिवंशराय बच्चन (१९०७-२००३)
वृक्ष हो भले खडे,
हों घने, हों बडे,
एक पत्र छाहं भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुडेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
हों घने, हों बडे,
एक पत्र छाहं भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुडेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
कविता का सारांश
Friday 15 April 2016
CBSE - कक्षा ९/१० - हिंदी (Hindi) अपठित काव्यांश
कक्षा ९/१० अपठित काव्यांश
प्र(cbse 2016): निम्मलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर लिखिए:
भूली हुयी यादों, मुझे इतना ना सताओ अब चैन से रहने दो, मेरे पास ना आओ |
यादें होती है गहरी नदी में उठी भंवर की तरह
नसों में उतरती कडवी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती है जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीरमें धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना जरुरत नहीं, मेरी मजबूरी है
नसों में उतरती कडवी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती है जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीरमें धँसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना जरुरत नहीं, मेरी मजबूरी है
(क) यादों को गहरी नदी में उठी भँवर की तरह क्यों कहा गया है?
(ख) यादों को जानी दुश्मन की तरह मानने का क्या आशय है?
(ग) शरीर में धँसे काँच से यादों का साम्य कैसे बिठाया जा सकता है?
Saturday 13 February 2016
CBSE class 9 - हिंदी (ब) - कार्यपत्र (Worksheet) - २०१६
कक्षा ९ - हिंदी (ब)
कार्यपत्र
प्र १: निम्मलिखित शब्दों का वर्ण विच्छेद कीजिए
मनुष्य , दृग
प्र २: निम्मलिखित शब्दों में उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करते हुए मानक शुद्ध रूप लिखिए
सन्यासी, कङघा
प्र ३: निम्मलिखित शब्दों में उपयुक्त स्थानों पर अनुनासिक चिन्हों का प्रयोग कीजिए
आच, गाव
प्र ४: निम्मलिखित शब्दों में उपयुक्त स्थानों पर नुक्ता लगा कर पुन: लिखें
मंजिल, जालिम
प्र ५: निम्मलिखित शब्दों में मूल शब्दों व उनमे प्रयुक्त उपसर्गों को अलग-अलग करके लिखिए
दुर्बल, दुर्भाग्य
प्र ६: निम्मलिखित शब्दों में मूल शब्दों व उनमे प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग-अलग करके लिखिए
सामाजिक, दक्षिणी
Saturday 12 December 2015
CBSE Class 9/10 - Hindi (B) - संधि-विच्छेद
संधि-विच्छेद
दिए गए विकल्पों में से उचित संधि-विच्छेद छांटकर लिखो-
१. प्रत्येक
क. प्रत्य + एक
ख. प्रति + अक
ग. प्रत + एक
घ. प्रति + एक
२. यथेष्ट
क. यथा + इष्ट
ख. यथे + इष्ट
ग. यथे + ष्ट
घ. यथ + इष्ट
३. स्वागत
क. स्व + आगत
ख. स्वा + गत
ग. सु + आगत
घ. सु + वागत
४. सर्वोत्तम
क. सर्वो + उत्तम
ख. सर्व + उत्तम
ग. सर्वो + त्तम
घ. सर्वोत्त + म
५. गुरूपदेश
क. गुरु + उपदेश
ख. गुरू + उपदेश
ग. गुरू + पदेश
घ. गुरूप + देश
Monday 8 September 2014
CBSE Class 10 - हिंदी (पर्यायवाची शब्द)
पर्यायवाची शब्द
१. चंद्र-यान में बैठकर वे ____ की सतह पर उतरे |
२. ' गर्मियों के दिन, _____ का तमतमाता रूप ' |
३. आग ताप रहे हो ? आसमान से _____बाण बरस रहे हैं |
४. मधु पीने के कारण भौंरा ____ भी कहलाता है |
५. शकुंतला ने कान में फूल का _____ फूल पहना था |
६. एक _____ ख़राब हो तो नेत्रहीन नहीं कहेंगे |
७. बुद्ध ने कहा - मैं कब तक राह दिखाऊंगा, अपना _____ खुद ढूँढो |
८. ____ सा तन कहें या चाँदनी- सा बदन !
९. ब्रज के वंशी धर को ______ भी कहते हैं |
१०. हिमालय के शिखर देखो, ऐसी ही एक ______ पर बचेंद्री पाल ने कदम रखे थे |
Wednesday 3 September 2014
CBSE Class 10 - हिंदी - अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
१. जानने की इच्छा
२. हाथ से लिखा हुआ
३. साफ़-साफ़ कहने वाला
४. पथ से भ्रष्ट
५. बहुत तेज चलने वाला
६. अवसर के अनुसार बदल जाने वाला
७. जिसका विवाह हो चुका है
८. जो आँखों के सामने न हो
९. जानने की इच्छा रखने वाला
१०. जो किसी बात से न टले
११. जिसका कोई आकार नहीं
१२. जिसकी पत्नी की मृत्यु हो गई हो
१३. आत्मा पर विश्वास
१४. स्वास्थ्य की रक्षा
१५. वन में रहने वाला मनुष्य
१६. रंग के लिए महल
Tuesday 2 September 2014
CBSE Class 9 - DAV Panvel - SA 1 Practice Test Papers (2014)
Class 9 SA 1 Practice Test Papers
Credits: The SA1 Practice Test Papers designed by DAV (Panvel) teachers.
Saturday 21 September 2013
Saturday 24 August 2013
Tuesday 21 May 2013
CBSE Class 9 - Hindi - अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
(Asked in CBSE 2012 SA1 Papers)
१. गणित का ज्ञाता
२. हाथ से लिखा हुआ
३. शरण में आया हुआ
४. जिसका कोई शत्रु न हो
५. जो बिना वेतन के काम करे
६. जो कभी संभव न हो सके
७. जिसका अंत न हो
८. जो उपकार को माने
९. जिसे गुप्त रखा जाये
१०. जो कभी बूढ़ा न हो
११. जिसे किसी भी स्थिति में टाला न जा सके
१२. सत्य बोलने वाला
१३. जिसका कोई स्वामी/नाथ न हो
१४. जिसका जन्म न हो सके
१५. जो सब कुछ जानता हो
Sunday 5 May 2013
CBSE Class 9/10 - Hindi Grammar (वाक्य भेद-2)
वाक्य भेद
रचना के आधार पर वाक्य के प्रकार बनाएं |
१) जिन छात्रों ने परिश्रम किया | वे उत्तीर्ण हो गए | मिश्र वाक्य बनाओ
क) जिन छात्रों ने परिश्रम किया वे उत्तीर्ण हो गए |
ख) परिश्रम करने वाले छात्र उत्तीर्ण हो गए |
ग) उत्तीर्ण होने वाले छात्र परिश्रमी थे|
घ) परिश्रमी छात्र उत्तीर्ण हो गए |
२) कौन सा मिश्र वाक्य है :
क) कमाने वाला ही खाता है |
ख) जो कमाएगा वह खाएगा |
ग) कमाकर ही खाया जाता है |
घ) कमाते हैं और खाते हैं |
३) उसके पास सब कुछ था और सब खो गया | मिश्र वाक्य बनाओ|
क) उसके पास जो कुछ था गया |
ख) उसके पास जो कुछ था, वह खो गया |
ग) उसके पास जो कुछ था और वह खो गया |
घ) चूँकि उसके पास जो कुछ था वह खो चूका है |
Sunday 28 April 2013
CBSE Class 9/10 - Hindi Grammar (वाक्य भेद)
वाक्य भेद
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताओ |
१) जब असफल हो गए तो शोक करना व्यर्थ है |
क) संयुक्त
ख) सरल
ग) मिश्र
घ) आज्ञावाचक
२) सूर्य उगा और अंधेरा नष्ट हुआ |
क) संयुक्त
ख) संकेत वाचक
ग) विधान वाचक
घ) मिश्र
३) संकट आ जाए तो घबराना उचित नहीं |
क) संयुक्त
ख) सरल
ग) मिश्र
घ) आज्ञार्थक
Friday 26 April 2013
CBSE Class 9/10 - समास (Hindi)
समास
[From CBSE examination papers]१) गुरुदक्षिणा समस्त पद का विग्रह है
क) गुरु की दक्षिणा
ख) गुरु के लिए दक्षिणा
ग) गुरु को दी गई दक्षिणा
घ) गुरु और दक्षिणा
२) पर के आधीन का समस्त पद है :
क) परअधीन
ख) पराधीन
ग) पाराधीन
घ) परोधीन
३) किस समस्त पद में कर्मधारय समास है :
क) वनवास
ख) आजन्म
ग) आपबीती
घ) कालीमिर्च
Thursday 18 April 2013
CBSE Class 6/7/8/9 - Hindi - अनौपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
१) मित्र को जन्मदिन के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखो |
११२,शारदा निकेतन
दिल्ली |
दिनांक ----------
प्रिय मित्र -------,
सप्रेम नमस्कार |
कल ही मुझे तुम्हारे जन्मदिन का निमंत्रण पत्र मिला | मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हुई कि गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी तुम अपना जन्म-दिवस बड़ी धूमधाम से मना रही हो | इस शुभ अवसर पर सुबह अनाथालय जाकर बच्चों को खाना और कपड़े बाँटने का विचार अति उत्तम है | शाम को घर पर रखी पार्टी और उसमें आयोजित जादूगर का खेल अवश्य ही सबको पसंद आएगा | मेरी ओर से तुम्हें जन्मदिन की बहुत- बहुत बधाई | मैं तुम्हारे कार्यक्रम में अवश्य सम्मिलित होऊँगा/ होऊँगी |
पूज्य चाचा जी और चाची जी को मेरा प्रणाम कहना और सोनू को प्यार |
तुम्हारा मित्र/तुम्हारी सखी ,
क. ख. ग.
२) मित्र को परीक्षा में सफलता पर बधाई देते हुए पत्र लिखो |
Saturday 13 April 2013
CBSE Class 6/7/8 - Hindi - औपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र
१) अवकाश प्राप्ति हेतु प्रधानाचार्य जी को पत्र लिखें |
सेवा में
प्रधानाचार्य जी/प्रधानाचार्या जी
क.ख.ग. विद्यालय
महोदय/महोदया,
विषय - अवकाश प्राप्ति हेतु|
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा ---- की छात्रा/छात्र हूँ | कल विद्यालय से लौटते समय तेज़ बारिश में भीगने के कारण मुझे तेज़ ज्वर हो गया है | अतः मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ | कृपया मुझे तीन दिन (दिनांक ११-४-१३ से १३-४-१३ ) का अवकाश प्रदान करें | आपकी अति कृपा होगी |
धन्यवाद|
आपकी आज्ञाकारी शिष्या/आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कक्षा ------
अनुक्रमांक(roll no.)-----
दिनांक --------
Monday 8 April 2013
CBSE Class 9/10 - Hindi - अपठित काव्यांश -३
अपठित काव्यांश -३
[CBSE class 10 Sample Paper]
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रशनों के उत्तर लिखिए |
अरे चाटते जूठे पत्ते जिस दिन मैंने देखा नर को
उस दिन सोचा : क्यों न लगा दूँ आज आग इस दुनिया - भर को ?
यह भी सोचा : क्यों न टेंटुआ घोंटा जाये स्वयं जगपति का ?
जिसने अपने ही स्वरूप को दिया इस घृणित विकृति का |
जगपति कहाँ ? अरे, सदियों से वह तो हुआ राख की ढेरी
वरना समता संस्थापन में लग जाती क्या इतनी देरी ?
छोड़ आसरा अलख शक्ति का; रे नर, स्वयं जगपति तू है,
तू यदि जूठे पत्ते चाटे, तो मुझ पर लानत है, थू है |
ओ भिखमंगे, अरे पराजित, ओ मजलूम, अरे चिर दोहित,
तू अखंड भण्डार शक्ति का; जाग, अरे निद्रा-सम्मोहित,
प्राणों को तडपाने वाली हुंकारों से जल-थल भर दे,
अनाचार के अम्बारों में अपना ज्वलित पलीता धर दे |
उस दिन सोचा : क्यों न लगा दूँ आज आग इस दुनिया - भर को ?
यह भी सोचा : क्यों न टेंटुआ घोंटा जाये स्वयं जगपति का ?
credits:clker.com |
जगपति कहाँ ? अरे, सदियों से वह तो हुआ राख की ढेरी
वरना समता संस्थापन में लग जाती क्या इतनी देरी ?
छोड़ आसरा अलख शक्ति का; रे नर, स्वयं जगपति तू है,
तू यदि जूठे पत्ते चाटे, तो मुझ पर लानत है, थू है |
ओ भिखमंगे, अरे पराजित, ओ मजलूम, अरे चिर दोहित,
तू अखंड भण्डार शक्ति का; जाग, अरे निद्रा-सम्मोहित,
प्राणों को तडपाने वाली हुंकारों से जल-थल भर दे,
अनाचार के अम्बारों में अपना ज्वलित पलीता धर दे |
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